छूट गया साथ मेरा यूँही तुमसे
लेकिन भुला नहीं हूँ मै वो सारी बात जो किया करते थे तुमसे।
कैसे भूलूँ तुम्हें ये मुझे नहीं पता ..
क्या बीती है मेरे दिल पे ये तुम्हें क्या पता।
लेकिन भुला नहीं हूँ मै वो सारी बात जो किया करते थे तुमसे।
कैसे भूलूँ तुम्हें ये मुझे नहीं पता ..
क्या बीती है मेरे दिल पे ये तुम्हें क्या पता।
भले तुम भूल जाओ मुझे ....
दूरियाँ बनाओं हर पल मुझसे।
मेरा दिल अब भी तुम्हारी यादों में जलता है ..
तुम्हारी वो सारी बातें याद किया करता है
नहीं पता क्यूँ इतना याद आते हो।
भूल जाता हूँ फिर भी नहीं भूल पाता हूँ ..
क्या पता क्या वज़ह है इन सब हालातों का
क्यूँ याद करता हूँ जब कि कोइ वजूद नहीं इन सब बातों का।
क्या पता क्या वज़ह है इन सब हालातों का
क्यूँ याद करता हूँ जब कि कोइ वजूद नहीं इन सब बातों का।
टूट गया साथ मेरा यूँही तुमसे
लेकिन भूला नहीं हूँ मैं वो सारी बात जो किया करते थे तुमसे।
Wow ....... I am speechless !!!!!
ReplyDeletethnksss..:)
ReplyDeleteawesome.!!
ReplyDeletetouched my heart.
ReplyDeleteSometimes words and poems connects with us like nothing else... Heart touching poem sir.
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