Saturday, 28 October 2017

TERI TASWEER..!!





तेरी  ज़ुल्फ़ों  में  बंद  वो  खुशबू  चारो  तरफ  बिखर  रहि  थी।
तेरे  चेहरे  पर  वो  ख़ामोशी  मुझसे  बहुत  केह  रही थी। 

बस  करे  तो  मैँ  हरदिन  तेरी  ज़ुल्फ़ों  में  खोया  रहूँ ।
तेरी  खामोशियों  को पढ़कर एक साज़  दिया  करुँ ।

तेरी  होठों  के  वो  शबनम  छूने  को केह  रही  थी।
तेरे  चेहरे पर  बिखरे  हुए  ज़ुल्फ  दिन  को रात कर  रही  थी। 

सच  कहुँ  तो तेरी  ये तस्वीर  मेरी  राहत  है। 
तुझे हर रंगों  से  रंग  देने  की  मेरी  चाहत  है। 

Monday, 14 August 2017

BEWAJAH..!!




बेवज़ह सी बातें हर वक़्त तुमसे होना। 
बेवजह मेरा और तुम्हारा मिलना। 
सबकुछ  बेवजह सा यूं  ही हो जाना।
कुछ तो वजह है इन बेवजह सी हालातों का होना।


सारी रातें बेवज़ह मेरा जगना।
तारों से बातें किया करना। 
फिर उन तारों में तुमको देखना।
बेवजह सी रातों का यूँ  ही कट जाना। 


बेवजह तुम्हारी आंखें  मेरी आँखों से मिल जाना । 
फिर तुम्हारा यूँ  ही मुस्कुराना । 
बेवजह  लम्हों का धागा सा बंध जाना।

बेवजह किसी को याद कर यूँ ही  आँखे नम नहि होती है। 
दो पल का ही मिलना सही पर उसमे भी कुछ न कुछ तो वजह होती है। 

बेवज़ह सा मैं और तुम।

Tuesday, 17 January 2017

ROSHNI SE TUM BANI HO...YA ROSHNI TUMSE.!!



रौशनी से  तुम  बनी हो। 
या रौशनी तुमसे। .
हुस्न  कि तुम  परी हो। 
मेरी  आँखों की  तुम्ही  रौशनी  हो। 

किस सितारो  पे तुम  रहती  हो।    
वहाँ से  तुम  क्या  क्या केह जाती हो।
अक्सर  उड़ कर मिलने जाता हु तुमसे. 
तुम बादलों में कही छिप जाति हो.

रौशनी से तुम बनी हो 
या  रौशनी तुमसे
तुम मेरे  ख्यालों की एक लड़ी हो
 मेरे आँखों की तुम्ही रौशनी हो। 
तुम सिर्फ मेरी और मेरी हो।

सन्नाटा

हर तरफ सन्नाटा सा छाया है लगता है जलता चिराग का रौशनी किसी ने चुराया है  इस बहती हवा में अब अलग सा सुकून आया  है ! हर तरफ सन्न...